छन्नछनाती नाचती गाती ज़िन्दगी,
बाग़ में टहलती गुनगुनाती ज़िन्दगी,
तालाब में तैरती मासूम बत्तक सी तू,
बारिश में करती जैसे कत्थक है तू।

जिस दिन गले से लगाया तुझे,
मैं ख़ुद को पा गया;
सबसे जुदा हो मैं सबके-
कितना क़रीब आ गया।

घर ज़मीन दुकान भी है,
हिम की ख़ामोशी का अहसास भी है;
क्या अदा है तेरी ऐ मेरी ज़िन्दगी
फ़िदा हो गया मैं तुझ पर ऐ मेरी ज़िन्दगी।