मन की ये अजीब अदा है
हक़ीक़त से रहता ये जुदा है
चिन्ता में रहना जैसे कि धर्म है इसका
डड्डु सा फुदकना मानो कर्म है इसका
समझाने से समझता नहीं
हँसाओ तो हँसता नहीं
नौकर था ये, मालिक बन बैठा
इसके चक्कर में मैं ख़ुदा से इन्सान बन बैठा ।

चलो छोड़ो जाने भी दो; आख़िर मन अपना ही तो है
ये ज़िन्दगी है क्या? इसका देखा इक सपना ही तो है
जब ज़िन्दगी को गले से लगाया है तो चलो मन को भी लगा लिया
इस नौकर को अपना क़रीबी दोस्त बना लिया ।

अब बस ऐक ही गुज़ारिश है तुझसे ऐ मेरे मन
खु़श रहने का मेरे साथ मिलकर, कर ले तू प्रण
बहुत रह लिये मेरे यार दु़ख की इस दलदल में
क्या रख़ा है चौबीस घंटों की इस हलचल में?

आ हम दोनों मिलकर आनन्द की इक लहर बन जायें
क्यों ढूँढें ख़ुदा को? चल खु़द ही खु़दा बन जायें
इन्सान की नज़र से तो बहुत देखा लिया हमने;
ख़ुदा की खुदाई को अब चल उस ही की नज़र से देख आयें ।

Translation:
Mind has this weird nature
It always runs away from truth
To be worried appears to be its religion
Like a frog it always keeps on hopping
All explanations fail before it
Try to make it laugh but in vain
It used to be a servant now it’s my master
Because of it I was thrown out of God’s garden.

Anyway forget it; after all this mind is my own
What’s this life? It’s simply a dream seen by this same mind
When I have decided to hug this life
Then why not this mind too?
From now on this servant would be a friend of mine.

Now I request you my mind just one thing
You promise me that you would always remain happy
So many lives we have suffered in this quagmire of unhappiness
There’s nothing in this round the clock anxiety.

Come let’s together be blissful
Why to try finding God, let’s ourselves be The God
We have been till now looking at this existence through human eyes
Now let’s see it through eyes of God.