आज फ़िर पीने को दिल चाहता है
एक बार फ़िर जीने को दिल चाहता है
ख़ुद को डूबने से न रोकूंगा मैं
ज़िन्दगी को अब कभी न टोकूंगा मैं
दूसरों की ज़िन्दगी बहुत जी ली मैंने
अब अपनी ज़िन्दगी जीने को दिल चाहता है
आज फ़िर मेरा पीने को दिल चाहता है।

बर्फ से पानी, पानी से भाँप बन
उड़ने को दिल चाहता है
इस हल्केपन में नाचने को दिल चाहता है;
रगों में खून बन ख़ुशी दौड़ रही है आज,
ख़ुदा की खुदाई कितनी रंगीन लग रही है आज;
कुछ कर गुज़रने को दिल चाहता है,
बहुत दिनों के बाद, आज फ़िर पीने को दिल चाहता है।