ध्यान सुकून एवं आराम प्राप्ती का एकमात्र स्रोत है।
ध्यान बिना चैन की प्राप्ती असंभव है क्योंकि ध्यान ही इंसान को मन से ऊपर उठाकर मन का साक्क्षी बनाता है और बताता है कि इंसान मन नामक इस शोर मचाने वाले चलचित्र से अलग है, केवल इस चलचित् का साक्क्षी है, ख़ुद चलचित्र का पात्र नहीं।

ध्यान बिना इंसान इंसान नहीं।