मन में बसी ये उदासी
मन में बसी ये उदासी अन्दर से दीमक सी चाट रही है
रूह को बाँधे ये डर की ज़ंजीर बिच्छु सा काट रही है
चेहरे की ये झूठी हँसी ख़ुशी छोड़ दुख बाट रही है
अन्धेरे से भरी ये कोठड़ी सदियों से उजाले की देख बाट रही है ।
मन में बसी ये उदासी अन्दर से दीमक सी चाट रही है
रूह को बाँधे ये डर की ज़ंजीर बिच्छु सा काट रही है
चेहरे की ये झूठी हँसी ख़ुशी छोड़ दुख बाट रही है
अन्धेरे से भरी ये कोठड़ी सदियों से उजाले की देख बाट रही है ।