जन्मों जन्मों की नींद है, जाने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा; अंधेरे से कर बैठे हैं प्यार जो हम, अपनाने में रोशिनी को, थोड़ा वक़्त तो लगेगा।
ये डर ये घबराहट, लगने लगे हैं कुछ अपने से,
दुखी रहने की हो गयी है आदत सी;
परिंदे सा दिल ये मेरा, लिए बैठा है, कटे हुए परों
को; चाहता तो है ये उड़ना, पर चलने की इसे, हो
गयी है आदत सी।