ना ख़ुशी के ना दुःख के, ये आँसु प्रार्थना के हैं;
मुश्किल से आते हैं ये पल जो कि आराधना के हैं।
सूखे प्राणों पे पड़ी खुदा की बारिश की महक है ये;
ख़ुशी के मारे नाचते पक्षी से मेरे दिल की चहक है ये।
सब मुझमे और मैं सब में हूँ ऐसा अहसास है हो रहा;
मैं हूँ ही नहीं लगता है ऐसे, आज मेरे साथ कुछ ख़ास है हो रहा।

ख़ुद को खो रहा हूँ या पा रहा हूँ, ये कहना है मुश्किल।
लगता है कि जैसे पहली बार जी रहा हूँ;
जिस खुदाई के बारे में सिर्फ़ सुना था, आज उसकी दो घूँट पी रहा हूँ।
नीयत अभी भरी नहीं, लगता है ये पल छूट ना जाए;
ये आइना जो दिखाता है मुझे ख़ुद को वो टूट ना जाए।
शुक्रिया तेरा कि तूने समझा मुझे इस क़ाबिल है,
डूबती मेरी कश्ती को मिल गया आज साहिल है।